उन्होंने अपनी मां से झूठ बोला कि उन्हें दिल्ली में टीचर की नौकरी मिल गई है, जबकि उनका चयन दिल्ली में ही नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के एक्टिंग कोर्स में हो गया था। क्या आप जानते हैं, उन्होंने झूठ क्यों बोला? क्योंकि वे मां को दु:ख नहीं पहुंचाना चाहते थे कि उन्होंने ऐसा कॅरिअर चुना जो शायद मां को पसंद न आए।
ये व्यक्ति थे बॉलीवुड एक्टर इरफान खान, जिनका 29 अप्रैल को देहांत हो गया। जब इरफान जैसे लोग पसंद के कॅरिअर में सफल होते हैं, तो वे अच्छाई फैलाना जारी रखते हैं। वे अपने दोस्तों को परेशान नहीं देख सकते। फिल्म क़िस्सा की शूटिंग के दौरान जेनेवा के फिल्ममेकर, डायरेक्टर अनूप सिंह सेट से चले गए, क्योंकि एक निर्माता के साथ उन्हें कोई समस्या हो गई थी। उस रात इरफान उनके कमरे में अपने म्यूजिक सिस्टम के साथ गए। उन्होंने इसे खुद जमाया और अनूप के लिए नुसरत फतेह अली खान के गाने बजाए। गाने कई घंटे चले। जब सुबह-सुबह उन्होंने अनूप को मुस्कुराते देखा, तभी वे वहां से गए।
मुझे कुछ ऐसा ही चेन्नई के एम्बुलेंस ड्राइवर एस चिन्नाथंबी के मामले में दिखा। उसने पूरे परिवार से झूठ बोला कि वह तमिलनाडु के तिरुनेलवेली जिला जा रहा है। जबकि वह मिजोरम की 3,450 किमी की यात्रा पर जा रहा था, जहां से लौटने में उसे 8 दिन लगते। वह यह बताकर अपने करीबियों को दु:खी नहीं करना चाहता था कि इस महमारी के बीच वह जान जोखिम में डाल रहा है।
वह दरअसल विविअन रेमसंगा के परिवार को उनके बेटे को दफनाने का मौका देना चाहता था! इस 23 अप्रैल को 28 वर्षीय विविअन की हार्ट अटैक से अपने अपार्टमेंट में ही मृत्यु हो गई। चूंकि देश में लॉकडाउन है, इसलिए उसके शव को घर ले जाना लगभग असंभव था, क्योंकि अभी हवाई रास्ते तक बंद हैं।
जब परिवार की मदद को कोई आगे नहीं आया तो चिन्नाथंबी और साथी ड्राइवर पी जयनध्रन के साथ विविअन के दोस्त राफेल एवीएल मलच्चहनहिमा ने विविअन का शव लेकर मिजोरम पहुंचने के लिए 6 राज्यों- तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, प. बंगाल, असम और मेघालय को पार करने की जिम्मेदारी ली। ऐसी यात्राओं के लिए तीन लोगों की जरूरत होती है, क्योंकि अगर एक आराम करता है तो दूसरा ड्राइवर से बात करता रहे, ताकि वह गाड़ी चलाते हुए सो न जाए।
वे अनगिनत नाकेबंदियों से गुजरे, कई पुलिसवालों ने पूछताछ की और हर सुनसान हाईवे पर जांच हुई। हाईवे पर सभी ने उन्हें शकभरी निगाहों से देखा, लेकिन मिजोरम पहुंचते ही उनका मूड अचानक बदल गया। उन्होंने देखा कि सड़क पर दोनों ओर लोग उन्हें शाबाशी दे रहे हैं, उनके साथ सेल्फी ले रहे हैं। वहीं उनके प्रयासों को मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरामथंगा ने भी सराहा। फिर विविअन की मां आई और तीनों के हाथ पकड़कर कुछ पल के लिए खामोश खड़ी रहीं। उनकी आंखें सब कुछ कह रही थीं। यह देख रास्ते में हुई सारी परेशानियों का उनका दर्द दूर हो गया।
यह अच्छे लोगों की दर्दभरी आंखों की शक्ति होती है, जैसी इरफान की भी थी। आपको मक़बूल फिल्म का वह दृश्य याद होगा, जब इरफान बेहोश पत्नी तब्बू को आईसीयू बेड से अपनी बाहों में उठाते हैं और कहते हैं, ‘दरिया घुस आया है मेरे घर में’। मुझे नहीं पता कितने लोगों को उनका दु:ख से भावहीन हुआ चेहरा याद होगा। उनकी पत्नी ने तभी पहले बच्चे को जन्म दिया था, लेकिन तब उनकी आंखों में पुलिस एनकाउटर में मारे जाने का खौफ नजर आता है। इरफान ने यह खौफ आंखों से ही बयां कर दिया था। इरफान और फिर चिन्नाथंबी के झूठ से मुझे ऋषि कपूर की 1973 की फिल्म ‘बॉबी’ का गाना ‘झूठ बोले कौवा काटे…’ याद आ रहा है, जिनका देहांत इरफान के निधन से एक दिन बाद हुआ।
फंडा यह है कि कभी-कभी अच्छे लोग झूठ बोलते हैं, ताकि उनके करीबियों का दिल न दुखे। शायद भलाई वाला झूठ बोलने पर कौआ हमेशा नहीं काटता!
मैनेजमेंट फंडा एन. रघुरामन की आवाज में मोबाइल पर सुनने के लिए 9190000071 पर मिस्ड कॉल करें।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2z1GAWU
No comments:
Post a Comment