‘मम्मा आप डॉक्टर भी नहीं हो, पुलिस भी नहीं हो फिर आप रोज ऑफिस क्यों जाती हो?
पुणे की म्युनिसिपल कॉरपोरेशन में एडिशनल कमिशनर और पीएमसी के हेल्थ डिपार्टमेंट की मुखिया आईएएस रूबल अग्रवाल से यह सवाल पूछने वाला उनका सात साल का बेटा है।
बेटे ने जब देखा कि पापा घर से काम करते हैं और उसके दोस्तों के पैरेंट्स भी घर पर ही रहते हैं तो उसे लगा आखिर मम्मी क्यों रोज ऑफिस जाती हैं?
देश में कोरोना के बड़े हॉट स्पॉट में से एक पुणे है। शहर में अब तक 3000 से ज्यादा कोरोना पॉजिटिव मिल चुके हैं जबकि 168 की मौत हो गई है। रूबल कहती हैं ऐसे में जब घर से बाहर निकलने में भी लोग डर रहे हैं तब अपने सात साल के बेटे को छोड़कर जाना सचमुच मुश्किल होता है।जब ऑफिस से लौटती हूं तो बेटे को गले लगाने में भी डर लगता है।
उनके पति प्रखर अग्रवाल इंफोसिस में नौकरी करते हैं और इन दिनों वर्क फ्रॉम होम मोड में हैं। बेटे को संभालने की जिम्मेदारी भी प्रखर पर ही है।
वह कहते हैं, जिस दिन पुणे में कोरोनावायरस के मामले सौ से ज्यादा हो गए थे, उस दिन रूबल इतनी ज्यादा गुमसुम हो गईं थी कि घर में किसी से बात ही नहीं कर रहीं थीं। बहुत ज्यादा तनाव में थीं।
रूबल राजस्थान के टोंक जिले के छोटे से गांव की रहने वाली हैं। जब वे पैदा हुईं थीं तो खुशियां इसलिए नहीं मनाईं गईं थी कि दूसरी भी लड़की हुई। काफी संघर्ष के बाद वह यह मुकाम हासिल कर पाई हैं।घरवाले नहीं चाहते थे कि वह ज्यादा पढ़े लिखें। बड़ी मिन्नतें करने पर उन्हें आईएएस की तैयारी करने को डेढ़ साल का वक्त दिया गया था।
वो भी उनकी भाभी और मां के सपोर्ट के चलते। इसी डेढ़ साल की मेहनत में रूबल ने एग्जाम पास किया। वरना घरवालों ने शर्त रखी थी कि एग्जाम क्लीयर नहीं किया तो शादी कर देंगे।
प्रखर कहते हैं, ‘हमारी शादी 2009 में हुई थी, लेकिन नौकरी के चलते बीते दस सालों में हम लोग कभी एक साथ नहीं रह पाए।पिछले साल ही रूबल की पोस्टिंग पुणे हुई है और हमें एक छत के नीचे रहने का मौका मिला है।’
रूबल और प्रखर की पहली मुलाकात भी पुणे में हुई थी। रूबल की बुआ प्रखर के भाई की पड़ोसी थीं। रूबल आईएएस एग्जाम के बाद छुटि्टयों में वहां आई थी। बस तभीमुलाकात हुई जो धीरे-धीरे शादी तक पहुंच गई।
इन दिनों जब तनाव से भरे दिन के बाद रूबल घर लौटती हैं तो पति और बेटा उनके लिए रोज कोई सरप्राइज तैयार रखते हैं।प्रखर कहते हैं वाइफ का दिन चुनौतियों के बीच गुजरता है, ऐसे में हम दोनों कोशिश करते हैं कि उसे कोई स्ट्रेस न हो।यूं तो रूबल हार नहीं मानती लेकिन जब दुखी होतीहैं तो हम दोनों प्लान बनाकर उन्हें खुश करने की कोशिश करते हैं।
मदर्स डे पर बेटे ने रूबल के लिए एक ग्रीटिंग कार्ड बनाया। रूबल ने कार्ड देखा तो इमोशनल हो गई और बेटे को गले लगा लिया।
रूबल को खुश करने प्रखर अपने बेटे के साथ मिलकर कुकिंग करते हैं। हर दिन एक नई डिश बनाते हैं। प्रखर कहते हैं, पत्नी को इटैलियन, मैक्सिकन और राजस्थानी फूड पसंद है। इसलिए हर रोज डिनर हम उन्हीं की पसंद का बनाते हैं।
रूबल के मुताबिक, यह उनकी लाइफ का सबसे चैलेंजिंग टास्क है। पिछले साल जब जलगांव में बाढ़ आई थी, तबवह जिले की कलेक्टर थीं। उस दौरान भी परिस्थितियां मुश्किल थीं, लेकिन कोरोना जैसे हालात तो कभी नहीं देखे।
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