कोरोना वायरस इटली के लिए खुद के बारे में एक पुनर्विचार का अवसर है। लॉकडाउन खत्म होने के बाद जो इटली सामने आएगा वह बहुत ही अलग होगा। इसे वायरस के आने से पहले की तुलना में बेहतर होने के बारे में क्यों नहीं सोच रहे हैं? प्रधानमंत्री जिएसेपे कॉन्टे ने पिछले सप्ताह एक बेढंगी प्रेस कॉन्फ्रेंस में सात हफ्ते से कोरोना वायरस काे नियंत्रित करने के लिए लगाए गए प्रतिबंधों में ढील की रूपरेखा पेश की। इसके तहत 4 मई से पार्क, फैक्टरियां और बिल्डिंग साइट फिर से खुल जाएंगी, लेकिन स्कूल सितंबर से पहले नहीं खुल सकेंगे। यह फैसला देश में संक्रमितों की संख्या घटने के बाद लिया गया है। अब गहन चिकित्सा केंद्रों मेंभर्ती मरीजों की संख्या भी घट गई है। रविवार तक इटली में कोरोना वायरस के कुल 2,09,328 मामले आ चुके थे, जबकि 28,710 लोगों की मौत हो चुकी है। मरने वालों की यह संख्या यूरोप में सर्वाधिक है, हालांकि 28,131 मौतों के साथ दूसरे स्थान पर चल रहा ब्रिटेन जल्द ही इटली को पीछे छोड़ सकता है। इटली में 71,252 लोग अब तक ठीक भी हो चुके हैं।
हालांकि, संक्रमितों और मरने वालों की संख्या अभी भी काफी है, लेकिन प्रतिबंधों को खत्म करने की जरूरत इससे कहीं अधिक है। देश को तमाम चीजों को दोबारा शुरू करना ही होगा। सात हफ्तों के लॉकडाउन का आर्थिक नुकसान बहुत बड़ा है। रीओपनिंग के इस दौर में इटली के लोग सरकार से एकता और दक्षता की उम्मीद करते हैं। इसका मतलब है कि उद्यमियों को गतिविधियां शुरू करने में मदद और प्रक्रियाओं के बारे में नौकरशाही आदेशों का सरलीकरण हो। आशंका है कि 2020 में इटली की जीडीपी में सात फीसदी की कमी आएगी। हालांकि, देश जिस नए दौर का सामना करने वाला है, वह कठिनाइयों भरा लेकिन साथ ही बड़े और खास अवसरों वाला हो सकता है। इस दौर में नई शुरुआत के साथ ही जटिल सरकारी तंत्र का युक्तिकरण और प्रशासनिक स्टाफ का व्यावसायीकरण भी होना चाहिए। काेरोना वायरस इटली के लिए उसके स्वास्थ्य सिस्टम को नया आकार देने का भी मौका हो सकता है। पिछले दस वर्षों में सार्वजनिक स्वास्थ्य के मद से कम किए गए 37 अरब यूरो के बाद अब इस संकट ने हम सभी के लिए हेल्थकेयर के महत्व को फिर से परिभाषित किया है और हमें उम्मीद है कि इन अनुभवों के बाद राजनेता जनस्वास्थ्य का महत्व पहचानेंगे।
महामारी ने हमारी आदतों और जीने के तरीकों को गहराई से बदल दिया है। यह मुश्किल समय अपने समय की चुनौतियों को बेहतर तरीके से पहचानने, कुछ सबक सीखने और अपने जीवन पर दोबारा से सोचने का भी अवसर है। यह महामारी उपभोग के तरीकों, कचरा प्रबंधन, गैसों का उत्सर्जन, ट्रैफिक और प्रदूषण पर भी सवाल उठा रही है। राजनेताओं को चक्रीय अर्थव्यवस्था, कार्बन के उत्सर्जन पर रोक और टिकाऊ गतिशीलता पर गंभीरता से सोचना होगा। इस वायरस ने यह भी दिखाया है कि विभिन्न देशों व महाद्वीपों को जोड़ने वाले अापसी संपर्कों को मैनेज करना कितना जटिल है। ये संपर्क जहां एक ओर सौभाग्य लाते हैं, वहीं दूसरी ओर से यह कमजोर होते हैं और एक तरह से हरेक को नकारात्मक गतिविधियों का बंधक बना लेते हैं। इसलिए सप्लाई चेन के स्थानीय दृष्टिकाेण पर रणनीतिक तौर पर पुनर्विचार करना महत्वपूर्ण है, ताकि अापात स्थिति और जरूरी होने आत्मनिर्भरता को बढ़ाया जा सके। हम जरा मास्क का ही मसला लें, कोविड संकट के समय इटली या कहें कि पूरे यूरोप में कोई मास्क बनाता ही नहीं था। इनके एशिया से आने तक इंतजार करना मजबूरी थी। एेसा ही अन्य सेनेटरी उपकरणों को लेकर हुआ।
यह मौका सिर्फ हमारे देश के पुनर्विचार करने का नहीं है, बल्कि पूरे समाज को मानवता को केंद्र में रखकर एक टिकाऊ तरीके के बारे में सोचना चाहिए, केवल जीडीपी व आंकड़ों के बारे में ही नहीं। मानव केंद्रित समाज को दोबारा से बनाने के लिए नौकरशाही के सरलीकरण व प्रभावी स्वास्थ्य सिस्टम के साथ ही मानवीय जरूरतों को केंद्र में होना चाहिए न कि बेलगाम उपभोक्तावाद को। इसके लिए इच्छा शक्ति और रणनीति की जरूरत है। इसलिए राजनेताओं की एकजुटता इतनी महत्वपूर्ण है। लॉकडाउन से बाहर निकलने की रणनीति अत्यंत जटिल है। देश को उबरने में बहुत लंबा समय लेगेगा। काेरोना वायरस कार्य दक्षता के नाम पर इटली के लिए खुद के नवीनीकरण का मौका है। लॉकडाउन के बाद जो देश निकलकर आएगा वह निश्चित ही अलग होगा। सवाल यही है कि क्या राजनीति फिर से पुराने ढर्रे पर वापसी करेगी या फिर पुराने समय की अच्छी बाताें को लेकर एक नए देश को आकार देने के बारे में सोचेगी। यह एक पसंद तथा राजनीतिक इच्छा शक्ति और परवाह करने का मसला है। अनेक चीजें करनी होंगी और यही सही समय है। अगर अब नहीं तो फिर कब?
(यह लेखिका के अपने विचार हैं।)
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