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Tuesday, May 5, 2020

स्वच्छता को सुघड़ता में बदलना होगा

हमारे देश में इस समय देसी तरीकों की बाढ़ आ गई है। सोशल मीडिया ने कोरोना महामारी से निपटने के लिए इतने तरीके प्रचारित कर दिए कि लोग भ्रम में पड़ गए। यह सही है कि स्वच्छता अब पुण्य और गंदगी सबसे बड़ा पाप होना चाहिए। भारत में पाप और पुण्य की बड़ी महिमा है, लेकिन हमारी व्यवस्था, सामान्यजन की जीवन शैली क्या इस पाप से मुक्त होने देगी.? हम सोशल डिस्टेंसिंग के लिए पूरी ताकत लगा रहे हैं, पर जिन घरों में एक-एक कमरे में पांच-सात लोग रहते हों, वहां क्या करेंगे? जबकि भारत में आज भी कुछ घर ऐसे हैं जहां जूताघर ही इतना बड़ा है, जिसमें एक पूरा परिवार रह ले।

स्वच्छता के साथ एक और शब्द है सुघड़ता। स्वच्छता जब सतर्कता और व्यवस्थित तरीके से होती है तो वह सुघड़ता कहलाती है। मुझे वर्षों पहले के एक रिश्तेदार याद हैं जिन्हें हम ‘काका मां’ कहते थे। उनके यहां एक कमरे में आठ-दस सदस्य रहते हुए देखे हैं। लेकिन, उनकी सुघड़ता थी कि कोने-कोने में स्वच्छता दिखती थी।

ऐसे कई परिवार आज भी हैं। हमें अपनी स्वच्छता को सुघड़ता में बदलना होगा। मैं स्वयं एक बड़े परिवार के साथ छोटे घर में रहा हूं और मैंने अपनी मां की सुघड़ता देखी है। ऐसी कई माताएं तब भी थीं और आज भी हैं। हमें उनसे सीखकर समय रहते सुघड़ता पर काम करना पड़ेगा, अन्यथा सोशल डिस्टेंसिंग, लॉकडाउन और कोरोना से निपटने के जो भी प्रयास कर रहे हैं, ये सब धरे रह जाएंगे और यह तूफान फिर नजर आने लगेगा..।

जीने की राह कॉलम पं. विजयशंकर मेहता जी की आवाज में मोबाइल पर सुनने के लिए 9190000072 पर मिस्ड कॉल करें



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