आखिर घूम-फिरकर बात अध्यात्म पर आ ही गई। दुनिया का सबसे पुराना दर्शन जो हमारे देश के पास है, वह है अध्यात्म। अब जो सूत्रवाक्य देश को दिया गया है ‘आपदा में अवसर और इससे आत्मनिर्भरता’ यह मंत्र अध्यात्म से जुड़ा हुआ है। आत्मनिर्भरता में ‘आत्म’ आत्मा के लिए कहा गया है। मनुष्य शरीर पर निर्भर हो तो सफलता अधूरी होती है। मन पर निर्भरता तो उसे बर्बाद ही करती है, लेकिन जब आत्मा पर निर्भर होता है तो उसी में उसकी असल और पूर्ण सफलता होती है। आत्मा तक पहुंचने का मार्ग, तरीका है योग। यहां आत्मनिर्भरता की बात भौतिक संसाधनों के लिए कही गई है। अब हर व्यक्ति को धन कमाने के लिए आत्मनिर्भर होना है और इसके लिए योग को साथ लेकर चलना होगा। अध्यात्म का अर्थ है अपनी आत्मा के साथ जीना, स्वयं के पास बैठना, आत्मा की अनुभूति करना, अपनी निजता को निहारना। यह धर्म से गहरा विषय है। धर्म यदि शरीर है तो अध्यात्म आत्मा है। इसलिए आत्मनिर्भर होने के लिए यह अभ्यास भी लगातार करते रहना चाहिए। दो पैसे कमाने की अकल दुनियादारी देगी और आप आत्मनिर्भर होंगे, लेकिन उस कमाए हुए धन का सदुपयोग हो जाए, वह बच जाए और शांति प्रदान करे, यह कला अध्यात्म सिखाएगा। आत्मनिर्भर शब्द में भरोसा भी बसा हुआ है। उस परमशक्ति पर निर्भर रहें। प्रयास हमें ही करना है, लेकिन उसके प्रति भरोसा, उस पर निर्भरता हमारी ताकत बन जाएगी।
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