बड़े सितारों का ओहदा और उनका प्रभाव हमारे समाज में बहुत ऊपर रखा जाता रहा है। सड़क किनारे लगे होर्डिंग से लेकर सोशल मीडिया की डिजिटल दुनिया तक फिल्मी सितारों का वर्चस्व रहा है। लेकिन मेरे विचार में जो स्टारडम के चिर परिचित मापदंड हैं, वे इस कोविड-19 के चलते बदलने वाले हैं।
पिछले कुछ वर्षों में एक नया ट्रेंड शुरू हुआ है पापाराजी संस्कृति का। सितारे किस रेस्टोरेंट में जा रहे हैं? जिम में वर्कआउट के लिए या एयरपोर्ट पर क्या कपड़े पहने हुए हैं, यह तो जैसे अपने आप में एक अलग संसार बन गया है। अब किसके स्टारडम का क्या भविष्य होने वाला है, जब लॉकडाउन में फिल्मी सितारे अपने घरों में बंद हैं। कोई पापाराजी नहीं है तो फिर यह सेलिब्रिटी शब्द के क्या मायने रह जाएंगे? एक वक्त था जब सेट पर सितारा शूट करने आता तो उनके साथ 8-10 लोगों का काफिला होता था। मैनेजर, पब्लिसिस्ट, हेयर एंड मेकअप स्टाइलिस्ट और स्पॉट ब्वॉय। इन सब का एक अहम ऐसा होता था स्टारडम को झलकाने में।
तकनीकी तौर पर इसे ऑन्टोराज कहते हैं। जितना बड़ा फिल्म स्टार उतना बड़ा उसका ऑन्टोराज। पर अब कोविड-19 के मद्देनजर शूटिंग के लिए जो गाइडलाइंस दी गई हैं उसमें सेट पर 40-50 से ज्यादा लोग हो ही नहीं सकते। ऐसे में सितारों के ऑन्टोराज तो कम होने ही वाले हैं। फिर प्रोड्यूसर्स का कहना है कि स्टार्स को पे-कट लेना होगा। अनुमान है कि इंडस्ट्री को 7-10 हजार करोड़ का झटका मिलेगा। ऐसे में इंडस्ट्री में जो निरर्थक कार्यप्रणाली शूटिंग का हिस्सा बन चुकी थी वह जरूर खत्म होने वाली है। लब्बोलुआब यह कि जो सेलिब्रिटी का सिस्टम था, स्टारडम का जो पैटर्न था, वह बदलेगा।
शूटिंग के काम से जुड़ी पूरी कार्यप्रणाली टैलेंट ड्रिवन के बजाय पब्लिसिटी ड्रिवन हो गई थी। बहरहाल इस माहौल में जो उम्मीद की किरण है वह यह है कि यह ऑन्टोराज संस्कृति, जिसमें लाखों खर्च होते थे, वे अगर फिल्म को बेहतर बनाने में लगाए जाएं तो हमारी फिल्मों की गुणवत्ता बहुत ऊपर जा सकती है। उल्लेखनीय है कि पाताल लोक और पंचायत जैसे वेब शोज ने प्रमाणित किया है कि कहानी अच्छी हो और कलाकार प्रतिभाशाली हों तो सफल शो बनाने के लिए बड़े फिल्म सितारे की फेस वैल्यू की जरूरत नहीं होती। डिजिटल में यह बहुत अच्छा चलन शुरू हुआ है। फिल्मों में भी टैलेंट और कंटेंट आधारित कहानी चलती रही हैं। आयुष्मान खुराना और राजकुमार राव इतने बड़े स्टार इसलिए बने, क्योंकि लोग इनके माध्यम से अच्छी फिल्म और अच्छी कहानियां देख पा रहे थे। अब डिजिटल प्लेटफॉर्म के आने से इसे और प्रोत्साहन मिलेगा।
इसी प्रकार पिछले कुछ वर्षों में यह बहुत महत्वपूर्ण माना जाने लगा है कि सोशल मीडिया पर किस स्टार की कितनी बड़ी फैन फॉलोइंग है? मुझसे किसी कास्टिंग डायरेक्टर ने एक बार कहा था कि अब प्रोड्यूसर यह सोच रखते हैं कि उस कलाकार को कास्ट करें, जिसकी इंस्टाग्राम पर बड़ी फैन फॉलोइंग है। लेकिन पिछले तीन-चार महीने से तो फिल्म स्टार इन पर पहले जैसे सक्रिय नहीं हैं। इसके बावजूद काम हो रहा है। यह सोशल मीडिया फैन फॉलोइंग वाली मान्यता एकदम तो खत्म नहीं होगी, लेकिन इसमें बदलाव अवश्य आएगा।
यह ऑन्टोराज कल्चर 90 के दशक में उतना नहीं था। मुझे याद है एक फिल्म पुरस्कार समारोह में किसी ने नसीरुद्दीन शाह जी से पूछा कि आपने किस का बनाया आउटफिट पहना है। नसीर साहब कुछ उलझन में आ गए। मैंने उन्हें फिर कहा कि आपने किस फैशन डिजाइनर का बनाया हुआ यह सूट पहना है। नसीर साहब ने जवाब दिया कि भाई यह दर्जी ने बनाया है।
(ये लेखिका के अपने विचार हैं)
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/31GhlFS
No comments:
Post a Comment