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Thursday, July 9, 2020

चीनी सेना को मुंहतोड़ जवाब देने वाले शहीद जवानों की याद में भारत के इंजीनियर स्वदेशी ऐप बनाएं तो शहीदों को यह सच्ची श्रद्धांजलि होगी

चीनी ऐप पर प्रतिबंधों की कड़ी में भारतीय सेना ने जवानों और अधिकारियों को एडवाइजरी जारी करके फेसबुक, वीचैट, जूम, इंस्टाग्राम और टिंडर समेत 89 एप्स को 15 जुलाई तक अपने मोबाइल से हटाने आदेश दिया है। चीनी ऐप पर प्रतिबंधों पर भारत का समर्थन करते हुए अमेरिका ने भी बहती गंगा में हाथ धोना शुरू कर दिया।

इन सबसे साफ है कि राष्ट्रीय सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के लिहाज से साइबर सुरक्षा सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। शांति और भाईचारा बनाए रखने के लिए भारत के पंचशील के आदर्शों को चीन ने 1962 की लड़ाई में रौंद दिया था। चीनी ऐप्स के फंदे से हम छूट भी गए तो अमेरिकी साम्राज्यवाद की गिरफ्त में आ जाएंगे। आत्मनिर्भर भारत को सफल होने के लिए पंचशील से एक कदम आगे जाकर विजय का छक्का मारना होगा:

1. सभी ऐप्स के डेटा शेयरिंग अनुबंध शर्तों का ऑडिट हो

भारत सरकार के अनुसार चीनी ऐप्स भारत का डेटा चीनी सरकार और सेना से शेयर कर रहे थे, पर ऐसा तो दूसरे विदेशी ऐप्स भी कर रहे हैं। चीन की तर्ज़ पर अमेरिकी सरकार और खुफिया एजेंसियां भी भारतीयों के डेटा में सेंध लगाती हैं। आर्थिक आत्मनिर्भरता और देश की सुरक्षा के लिए सभी विदेशी ऐप कंपनियों की अनुबंध शर्तों का डिजिटल ऑडिट हो, जिससे भारतीय डेटा की विदेशों में हो रही नीलामी रोकी जा सके।

2. ऐप्स में एफडीआई और विदेशी फंडिंग का खुलासा हो

चीन के जिन 59 ऐप्स पर प्रतिबंध लगाया गया, उनमें से कई को हांगकांग, सिंगापुर, अमेरिका, यूरोपियन यूनियन और केमन आइलैंड रूट से वित्त पोषण मिल रहा है। ज़ूम समेत अनेक विदेशी ऐप्स भारतीय सीईओ को मुखौटा बनाकर हिंदुस्तान में डिजिटल मलाई काट रहे हैं।

टैक्स नियमों के अनुसार, कैपिटल गेन के मामलों में निश्चित अवधि तक संपत्ति के विक्रय पर प्रतिबंध रहता है, उसी तर्ज पर स्टार्ट-अप्स पर विदेशी नियंत्रण की स्थिति में टैक्स छूट की वापसी का नियम बने। ई-कॉमर्स कंपनियों के सामान में उत्पादक देश का विवरण देने की तर्ज पर हर ऐप की एफडीआई व फंडिंग का ब्यौरा सार्वजनिक हो तो डेटा चोरी के अंतर्राष्ट्रीय डिजिटल माफिया का पर्दाफाश हो सकेगा।

3. डेटा चोरी पर आपराधिक मामले दर्ज हों

ऑपरेशन प्रिज्म के तहत बड़ी इंटरनेट कंपनियों ने अमेरिकी सरकार और इंटेलिजेंस एजेंसियों के साथ भारत के सवा छह अरब डेटा शेयर किए थे। अब डेटा चोरी के नए-पुराने सभी मामलों में ऐप कंपनियों के खिलाफ सख्त आपराधिक कार्रवाई करने के साथ डेटा चोरी के लिए भारी हर्जाना वसूलने की व्यवस्था बने।

4. डिजिटल कंपनियों से टैक्स वसूली

पिछले साल मद्रास हाईकोर्ट के बैन के बाद टिकटॉक ने कहा था कि इससे उसे 3.5 करोड़ रुपए का रोजाना नुकसान हुआ। यानी साल में हजार करोड़ का नुकसान होता। दूसरी तरफ रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी (आरओसी) के विवरण के अनुसार टिकटॉक की भारत में लगभग 46 करोड़ की आमदनी थी।

भारत की 130 करोड़ आबादी में टिकटॉक जैसी कंपनियों के हज़ारों करोड़ डाउनलोड की नीलामी से ये कंपनियां कई लाख करोड़ का कारोबार करती हैं, पर भारत को उस पर नगण्य टैक्स ही मिलता है। स्वदेशी नवाचार की सफलता के लिए यह जरूरी है कि इन ऐप्स पर ग्राहकों की संख्या से बढ़ रहे वैल्यूएशन के अनुसार भारत में टैक्स की सख्त व्यवस्था लागू हो।
5. कानूनी व्यवस्था और रेगुलेटर बने

सुप्रीम कोर्ट के नौ जजों के ऐतिहासिक फैसले के बावजूद पिछले 3 साल से भारत में डेटा सुरक्षा कानून नहीं बना। ऐप्स जैसी इंटरमीडियरी कंपनियों और ई-कॉमर्स को नियंत्रित करने के लिए भी कानून लागू नहीं हो रहे हैं। ट्राई, नीति आयोग, रिजर्व बैंक, मैटी समेत अनेक मंत्रालयों में नियमों के मकड़जाल से इन कंपनियों को क़ानून से भागने में सहूलियत मिलती है। समन्वित योजना से जिस तरह से भूमाफिया विकास दुबे को पकड़ा गया, उसी तर्ज़ पर एप्स के डिजिटल माफिया पर लगाम लगाने के लिए सख्त रेगुलेटर की जरूरत है।

6. आत्मनिर्भर भारत के लिए शहीद कर्नल संतोष ऐप

अमेरिका द्वारा भारतीय छात्रों और वीजा पर प्रतिबंधों से अब भारत में युवा प्रतिभाओं की बड़ी फौज तैयार हो रही है। भारत में अमेरिका की तर्ज़ पर नवाचार का वातावरण बनाने के लिए गवर्नेंस सुधारने के ऐप की जरूरत है। इसमें तीन हिस्से हो सकते हैं। पहले हिस्से में तालुका से लेकर केंद्र सरकार के सभी आदेश अंग्रेजी, हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं में एक जगह उपलब्ध हों।

दूसरे हिस्से में राज्यों और केंद्र सरकार की सभी योजनाओं का विवरण हो, जिससे वंचित वर्ग को योजनाओं का समुचित लाभ मिले और अफसरों की बंदरबांट खत्म हो। तीसरे हिस्से में शिकायत के रजिस्ट्रेशन नंबर और उसके समाधान की व्यवस्था बने तो छोटी बातों पर अदालतबाज़ी खत्म हो।

चीनी सेना को मुंहतोड़ जवाब देने वाले शहीद कर्नल संतोष और अन्य जवानों की याद में भारत के मेधावी इंजीनियर यह स्वदेशी ऐप बनाएं तो शहीदों को पूरे देश की सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

(ये लेखक के अपने विचार हैं)



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विराग गुप्ता, सुप्रीम कोर्ट के वकील


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