मुझे जो बिडेन की डोनाल्ड ट्रम्प के साथ बहस को लेकर चिंता होती है। बिडेन को ऐसा सिर्फ दो शर्तों पर ही करना चाहिए। वरना वे ट्रम्प को अनुचित लाभ पहुंचा देंगे।
पहली, बिडेन बहस में तभी हिस्सा लें जब ट्रम्प 2016 से 2018 तक के अपने टैक्स रिटर्न जारी करें। बिडेन ऐसा कर चुके हैं। ट्रम्प को भी करना चाहिए, लेकिन वे इसे छिपाए बैठे हैं। दूसरी, बिडेन को जोर देना चाहिए कि दोनों उम्मीदवारों की सहमति से राष्ट्रपति पद की बहस के आयोग द्वारा गैरपक्षपाती फैक्ट-चेकिंग टीम (तथ्य जांचने वाले) नियुक्त की जाए। यह टीम बहस के नतीजे से 10 मिनट पहले उम्मीदवारों द्वारा कहे गए किसी भी भ्रामक बयान, गलत आंकड़ों या झूठ के बारे में बताएगी। इस तरह कोई भी टीवी दर्शकों की भारी संख्या को बहका नहीं पाएगा।
बहसों के हमेशा कुछ तय नियम होते हैं। सच बोलना और टैक्स को लेकर बराबर पारदर्शिता इसकी शर्तें क्यों नहीं हो सकतीं? जी हां, यह दु:खद है कि हमें सच बोलने को भी शर्त बनाना पड़े। लेकिन पुराने अनुभव सिखाते हैं कि ट्रम्प बहुत अच्छे से झूठ बोल लेते हैं और बहस को भटका सकते हैं। इससे बिडेन ट्रम्प के बयानों को सुधारने में लग जाएंगे और अपनी बात नहीं रख पाएंगे।
कोरोना की वजह से इसकी संभावना कम है कि बिडेन चुनाव के दिन से पहले किसी जनसमूह को संबोधित कर पाएं। इसलिए उनके लिए टीवी पर टेलीकास्टहोने वाली तीनों बहसें और अहम हो जाती हैं, जिसमें बड़ी संख्या में दर्शक होते हैं। ट्रम्प चुनावों में बुरी तरह पिछड़ रहे हैं और उन्हें उन मतदाताओं को जीतने के लिए ये बहसें जरूरी हैं, जिन्होंने अभी तय नहीं किया कि किसे वोट देना है। इसलिए बिडेन को ट्रम्प के खिलाफ पारदर्शिता और तथ्यों की जांच चाहिए, ताकि बहस बराबरी की हो।
बेशक ट्रम्प साफ इनकार कर देंगे। ठीक है, ट्रम्प को अमेरिकी मतदाताओं की आंखों में आंखें डालकर कहने दीजिए, ‘कोई बहस नहीं होगी, क्योंकि मैं दिखाने का वादा करने के बावजूद अपने टैक्स रिटर्न छिपाए रखूंगा और मैं किसी भी स्वतंत्र फैक्ट-चेकिंग के बिना कोई भी बयान दे सकता हूं।’ ट्रम्प यह कहें तो बिडेन जवाब दें, ‘तो यह बहस नहीं, सर्कस है। अगर आप यही चाहते हैं तो चलिए कुश्ती कर देख लेते हैं कि कौन जीतेगा?’
ट्रम्प ने ट्रम्प ऑर्गनाइजेशन में अपनी हिस्सेदारी नहीं बेची, जैसा कि पिछले राष्ट्रपति हितों के टकराव से बचने के लिए निवेश के मामले में करते रहे हैं। बल्कि ट्रम्प की संपत्ति प्रतिसंहरणीय ट्रस्ट में हैं, जिसके ट्रस्टी उनके बड़े बेटे डोनाल्ड जूनियर हैं। यह एक मजाक है। ट्रम्प ने पिछले चुनाव प्रचार में आईआरएस ‘ऑडिट’ होने के बाद टैक्स रिटर्न जारी करने का वादा किया था। जो कि बाद में एक मजाक ही साबित हुआ। जीतने के बाद उन्होंने कह दिया कि अमेरिकियों को उनके टैक्स रिटर्न में दिलचस्पी नहीं थी।
दरअसल, अब हमें पहले से भी ज्यादा दिलचस्पी है। क्योंकि यह पूरी तरह अनुचित है कि बिडेन ने अपनी आय खुलकर बता दी, जबकि ट्रम्प ऐसा न करें। उन टैक्स रिटर्न्स में कुछ तो ऐसा होगा जो ट्रम्प छिपाना चाहते हैं। यह शायद विदेशी डेलीगेशन और स्थानीय लॉबिइस्ट से जुड़ा हो, जिनकी ट्रम्प से सांठ-गांठ हो। या इससे भी बुरा यह कि ये ट्रम्प द्वारा रूसी राष्ट्रपति पुतिन को पिछले तीन सालों से हर शंका का फायदा देने से जुड़े हैं। लगभग हर बार जब पुतिन और अमेरिकी इंटेलीजेंस एजेंसी के बीच विवाद हुआ, ट्रम्प ने पुतिन का पक्ष लिया। पुतिन ट्रम्प पर भारी हैं, इसके संकेत ट्रम्प के बड़े बेटे भी दे चुके हैं। माइकल हर्श ने भी 2018 में एक लेख में बताया था कि कैसे रूसी पैसे ने ट्रम्प के साम्राज्य को दिवालिया होने सा बचाया था।
अमेरिकी लोगों को जानने का हक है कि क्या ट्रम्प रूसी बैंकों के या किसी ऐसे फाइनेंसर के कर्जदार हैं जो पुतिन का करीबी हो। क्योंकि अगर ट्रम्प दोबारा चुने जाते हैं, तो वे पुतिन के साथ फिर वैसा ही व्यवहार कर सकते हैं जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो सकता है।
इस सबके साथ ट्रम्प से बहस करना किसी भी इंसान से बहस करने से अलग है। ट्रम्प हर सांस में झूठ बोलते हैं और क्योंकि उन्हें कोई शर्म नहीं है इसलिए इसकी कोई सीमा भी नहीं है। वॉशिंगटन पोस्ट की फैक्ट चेकर टीम के मुताबिक 20 जनवरी 2017 से 29 मई 2020 के बीच ट्रम्प ने 19,127 झूठे या भ्रामक दावे किए। अमेरिकी राष्ट्रपतियों के इतिहास में इस मामले में उन जैसा कोई नहीं। इसलिए स्वतंत्र फैक्ट-चेकर्स नियुक्त करना जरूरी है, जो बहस का प्रसारण खत्म होने से पहले उन कथनों का ब्योरा दें जो गलत या अधूरे सच थे।
तभी अमेरिकी मतदाताओं के सामने साफ तस्वीर होगी कि कौन सच बोल रहा है और कौन नहीं। तभी वे सही को चुन पाएंगे। सिर्फ इसी तरह की बहस मतदाताओं के विचार और बिडेन की भागीदारी के लिए सही है। वरना जो बिडेन, आप अपने तहखाने में ही रहें।(ये लेखक के अपने विचार हैं)
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