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Thursday, April 16, 2020

युधिष्ठिर, फ्योदोर और ग्राहम ग्रीन

‘शोले’ की सफलता से चकाचौंध समीक्षकों ने लिखा कि भारतीय सिनेमा का इतिहास दो खंडों में बांटा जा सकता है,‘शोले’ के पहले और शोले के बाद। ‘शोले’ के संवाद का लॉन्ग प्लेइंग रिकॉर्ड उसके गीत-संगीत के एलपी से अधिक बिका। चीन के युआन और अमेरिकन डॉलर में अंतर है। हमारे रिजर्व बैंक के गवर्नर त्याग-पत्र दे चुके हैं। पिया अपने मनभावन व्यक्तियों की नियुक्ति करता है, जिनके हृदय में बेकेट बनाम हैनरी युद्ध प्रारंभ हो जाता है। जाने कैसे नमक हलाल या नमक हराम घोषित कर दिया जाता है।

उन्नीसवीं सदी के सबसे सशक्त सृजन स्तंभ फ्योदोर दोस्तोयेव्स्की माने जाते हैं। उनके उपन्यास ‘क्राइम एंड पनिशमेंट’ से प्रेरित फिल्में रूस, अमेरिका और भारत में बनी। इससे प्रेरित फिल्में बार-बार बनाई गई हैं। भारत में रमेश सहगल ने राज कपूर, रहमान और माला सिन्हा अभिनीत फिल्म ‘फिर सुबह होगी’ बनाई। आज के कोरोना कालखंड में भी इस फिल्म का गीत बार-बार गुनगुनाने का मन करता है- ‘आसमां पर है खुदा और जमीं पर हम, आजकल वह इस तरफ देखता है कम।’ फिल्म के सभी गीत सर्वकालिक लोकप्रिय हैं।

रूस के तानाशाह जार ने दोस्तोयेव्स्की और साथियों को कैद कर लिया था। जिस समय उन्हें गोली मारी जानी थी, उस समय जार का फरमान आया कि इन्हें मृत्युदंड न देकर आजीवन कारावास दिया जाता है। उन्हें साइबेरिया भेज दिया गया जहां पूरे वर्ष मारक मौसम रहता है। कुछ वर्ष पश्चात साइबेरिया से लौटे फ्योदोर दोस्तोयेव्स्की से उनके मित्र लेखक की मुलाकात हुई। मित्र लेखक ने इस मुलाकात का विवरण दिया जिसे पढ़ने पर आज भी दिल दहल जाता है।
अब हम 20वीं सदी के दूसरे विश्व युद्ध के समय हिटलर द्वारा स्थापित नाजी कंसंट्रेशन कैंप की बात करें। ग्राहम ग्रीन की रचना ‘टेंथ मैन’ वर्षों बाद एक स्टूडियो के कबाड़खाने में मिली। रचना का सारांश यह है कि एक सनकी अधिकारी बेतरतीब कतार में खड़े दसवें आदमी को गोली मारने से पहले यह मजमा रचता है कि उस व्यक्ति के बदले मरने के लिए तैयार अन्य व्यक्ति उससे करारनामा कर सकता है। करारनामे पर दस्तखत होने के बाद गोली मारे जाते समय इंग्लैंड की हवाई सेना उस स्थान को अपने कब्जे में ले लेती है। ज्ञातव्य है कि ग्राहम ग्रीन के ‘थर्ड मैन’ पर बनी फिल्म कि प्रेरणा से संजय दत्त, कुमार गौरव व नूतन अभिनीत फिल्म ‘नाम’ बनी थी।
यह बात भी गौरतलब है कि ‘थर्ड मैन’ के फिल्मकार ने फ्रांस के कस्बे में एक रेस्त्रां में एक धुन सुनी। उन्होंने अपनी पटकथा को दोबारा इस दृष्टिकोण से लिखा कि पार्श्व संगीत में उस धुन का भरपूर प्रयोग किया जा सके। यही धुन थोड़े परिवर्तन से जेम्स बॉण्ड फिल्मों की सिगनेचर धुन बनी। बहरहाल विगत वर्ष 7 नवंबर को प्रकाशित मेरे लेख में युधिष्ठिर और यक्ष के बीच हुए संवाद का विवरण प्रकाशित किया गया था, क्योंकि उनके संवाद का विषय मृत्यु ही था और मृत्यु के नजदीक होने पर कैसा महसूस होता है।

जयपुर से एक व्यक्ति ने लेख पढ़कर मुझे ढेरों अपशब्द मोबाइल पर सुनाए। उसमें माता के विषय में एक गाली का शूल सात जन्मों तक मेरे अवचेतन में रहेगा। उस व्यक्ति के क्रोध का कारण कुछ भी हो सकता है, परंतु उसने निशाने पर मुझे रखा। इस तरह के विरोध से मेरा लिखना थमने वाला नहीं है।

दंड और सजा बड़ा उलझा हुआ मामला है? ज्ञातव्य है की फ्योदोर की रचना ‘व्हाइट नाइट’ से प्रेरित फिल्म ‘छलिया’ मनमोहन देसाई ने बनाई थी और इसी कथा से प्रेरित ‘सांवरिया’ भंसाली ने बनाई थी। फ्योदोर और कपूरों का रिश्ता बहुत गहरा है। चीन में भारी संख्या में बने वेंटिलेटर अमेरिका, भारत और अन्य देश खरीद रहे हैं। इतनी संख्या में वेंटिलेटर बनना गहरी साजिश की ओर संकेत है। कोरोना के पहले, दरमियान और बाद में मनुष्य के व्यवहार में परिवर्तन होना संभव है, जिसका तर्कपूर्ण अध्ययन हमें समय, समाज और साहित्य को समझने का नया दृष्टिकोण देगा।



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Yudhishthira, Fyodor and Graham Green


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