राघव चंद्रा (आईएएस पूर्व सचिव, भारत सरकार)
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का कोविड-19 के इलाज के लिए मलेरियारोधी दवा को लेकर इस हद तक जुनून कि वह निर्यात से रोक न हटाने पर भारत को बदले का संकेत देते हैं और एक बार रोक हटने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हैं, तर्क से परे लगता है। कोविड-19 के मरीजों पर मलेरियारोधी दवा के प्रभाव का कोई क्लिनिकल प्रमाण नहीं है। यहां तक कि उनके निकट सलाहकार और मेडिकल विशेषज्ञ डॉ. फॉसी भी उनके उल्लास का समर्थन नहीं करते हैं। तो फिर ट्रम्प मलेरियारोधी दवा को लेकर इतने अधिक आतुर क्यों हैं? कई दशकों से मलेरिया से लड़ रहे भारत से बेहतर मलेरियारोधी दवा को और कौन समझ सकता है? भारत में मलेरिया के लिए इस्तेमाल होने वाली सबसे लोकप्रिय दवा कुनैन है, जो दक्षिणी अमेरिका में मिलने वाने चिंचोना पेड़ के तने से प्राप्त की जाती है।
जिस क्लोरोक्वीन को अमेरिका मांग रहा है, वह इसका ही केमिकल प्रक्रिया द्वारा निकाला गया समकक्ष है, जिसे 1934 में जर्मनों ने तैयार किया था और इसे कई भारतीय कंपनियां बनाती हैं। 18वीं और 19वीं सदी में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी जब मच्छरों वाले ट्रॉपिकल क्षेत्रों में भारतीय महाराजाओं से युद्ध करती थी तो वह अपने सैनिकों को जिन व कुनैन वाले टॉनिक वाटर को पीने की सलाह देती थी। यह ‘जिन और टॉनिक’ इतना लोकप्रिय हुआ कि भारत के सभी जिमखाना क्लबों और दुनियाभर का प्रमुख ड्रिंक बन गया। यहां तक कि आज भी बाजार में कुनैन मिला टॉनिक वाटर ही बिकता है। इसलिए यह जांच का विषय है कि क्या मलेरिया और कोविड-19 के बीच संबंध का पारिस्थितिजन्य साक्ष्य है या नहीं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक 2018 में दुनियाभर में 22.80 करोड़ मलेरिया के मामले आए, जो एक साल पहले 23.10 करोड़ थे। मलेरिया के सबसे अधिक मामले अफ्रीका में और उसके बाद दक्षिण-पूर्व एशिया में थे। खासकर उप-सहारा अफ्रीका और भारत जैसे देश ही मलेरिया का 85 फीसदी भार उठाते हैं। दुनिया में छह सर्वाधिक प्रभावित देश हैं- नाइजीरिया, कॉन्गो, युगांडा, आइवरी कोस्ट, मोजाम्बिक और नाइजर। भारत में दुनिया के करीब 2.5 फीसदी मामले होते हैं। अफ्रीकी देशों और भारत के अलावा वियतनाम, म्यांमार, थाईलैंड, अर्जेंटीना, ब्राजील, पाकिस्तान व बांग्लादेश भी मलेरिया प्रभावित देशों में शामिल हैं। इनमें से अधिकतर देशों में कुनैन ही इलाज के लिए इस्तेमाल की जाती है।
अब अगर हम कोविड-19 के संक्रमण को देखें ताे इसका प्रति दस लाख की जनसंख्या पर वैश्विक औसत 247 व्यक्ति है। लेकिन, मलेरिया मुक्त देशों में कोविड-19 प्रभाविताें की यह संख्या बहुत अधिक है। यह स्पेन में 3638, इटली में 2638, स्विट्जरलैंड में 2968, बेल्जियम में 2639, फ्रांस में 2095, ऑस्ट्रिया में 1559, जर्मनी में 1552, अमेरिका में 1773, नीदरलैंड में 1550 और ब्रिटेन में 1305 है। जबकि मलेरिया से प्रभावित देशों में यह बहुत कम है। यह मोजाम्बिक में 0.7, म्यांमार में 1.0, नाइजीरिया में 2.0, वियतनाम में 3.0, बांग्लादेश में 5.0, भारत में 8.0, कॉन्गो में 11, पाकिस्तान में 25, थाईलैंड में 35 व दक्षिण अफ्रीका में 38 है। यहां तक कि मलेरिया से लड़ने वाले दक्षिण अमेरिकी देशों में भी कोविड-19 के मामले तुलनात्मक रूप से काफी कम हैं।
ऐसा नहीं है कि मलेरिया प्रभावित देशों के मजबूत अंतरराष्ट्रीय व्यापार और आर्थिक संबंध नहीं हैं। अफ्रीका का चीन के साथ 200 अरब डॉलर व यूरोपीय यूनियन के साथ 300 अरब डॉलर का व्यापार है। वियतनाम 122 अरब डॉलर के साथ चीन के टॉप 10 व्यापारिक साझीदारों में शामिल है। भारत, थाईलैंड, म्यांमार और बांग्लादेश के भी चीन से मजबूत व्यापारिक संबंध हैं। स्पष्ट है कि ट्रम्प द्वारा मलेरिया के इलाज और कोविड-19 के इलाज में संबंध की पहचान एक अटकल से कहीं ऊपर है। संभवत: भारत का अन्य देशों को मलेरियारोधी दवा का निर्यात खोलना भी समझ में आता है। स्वास्थ्य के मामलों में अंतरराष्ट्रीय सहयोग की जरूरत को समझा जा सकता है। हो सकता है कि हम बड़ी संख्या में मरीजों पर इन दवाओं के इस्तेमाल के बाद इसके असर के बारे में और अधिक सीख सकें।
हालांकि, यहां पर एक गंभीर विचार उठता है। क्या भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) कुनैन से एक कम शक्ति का ऐसा रोगनिरोधक नहीं बना सकता, जिसकाे कम कीमत पर आम लोगों को उपलब्ध कराकर उनके शरीर में मलेरिया और कोविड-19 के प्रति प्रतिरोधकता को और बढ़ाया जा सके? भारत में कभी भी थोड़ा सा कुनैन मिले टॉनिक वाटर के उपयोग पर चिकित्सीय रूप से आपत्ति नहीं की गई। इसके साथ बस एक ही दिक्कत है कि यह महंगा है। निश्चित ही, अगर समय रहते इस दिशा में कदम उठाए जाते हैं तो यह न केवल ट्रम्प के अमेरिका के लिए गेमचेंजर साबित हो सकता है, बल्कि कोविड-19 से हमारी लड़ाई में भारत के लिए भी। (यह लेखक के अपने विचार हैं।)
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2VGwZwm
No comments:
Post a Comment