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Monday, May 4, 2020

शराब नहीं बिकने से राज्यों को हर दिन 700 करोड़ रुपए तक का नुकसान हो रहा था; जब बिकती है तो हर साल 24% तक की कमाई कर लेती हैं सरकारें

कोरोना को फैलने से रोकने के लिए देश में लगे लॉकडाउन में अब थोड़ी ढील मिलने लगी है। जान के साथ-साथ अब जहान की भी फिक्र होने लगी है।


इस बार जब लॉकडाउन में क्या छूट मिलेगी गृह मंत्रालय ने लिस्ट जारी की तो सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा चर्चा शराब की दुकानें खुलने को लेकर थीं।


किस जोन में ये दुकानें खुलेंगी और कहां नहीं इसे लेकर जमकर पूछ परख होने लगी और सोशल मीडिया पर मेमे भी चल पड़े।


सोमवार से शराब की दुकानें खुलने भी लगीं। इन्हीं पर सबसे ज्यादा भीड़ भी देखी गई। और तो और सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां भी यहीं उड़ीं। इतनी किकई जगह पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा।


लेकिन, सवाल यह है कि जब 40 दिन से देश में टोटल लॉकडाउन था और 17 मई तक भी लॉकडाउन ही रहेगा, तो फिर शराब की दुकानें खोलने की क्या जल्दबाजी थी? जवाब है- राज्यों की अर्थव्यवस्था। दरअसल, शराब की बिक्री से राज्यों को सालाना 24% तक की कमाई होती है।एक ही दिन में कर्नाटक में 3.9 लाख लीटर बीयर और 8.5 लाख लीटर देशी शराब बिकी। इससे सरकार को 45 करोड़ का रेवेन्यू मिला।


कुछ दिन पहले पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने केंद्र सरकार से शराब की दुकानें खोलने की इजाजत मांगी थी। लेकिन, सरकार ने उनकी इस मांग को ठुकरा दिया। अमरिंदर सिंह ने एक इंटरव्यू में बोला भी कि उनकी सरकार को 6 हजार 200 करोड़ रुपए की कमाई एक्साइज ड्यूटी से होती है। उन्होंने कहा, 'मैं ये घाटा कहां से पूरा करूंगा? क्या दिल्ली वाले मुझे ये पैसा देंगे? वो तो 1 रुपया भी नहीं देने वाले।'

ये तस्वीर पूर्वी दिल्ली के चंदेर नगर में बनी एक वाइन शॉप के बाहर की है। लोग यहां सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें, इसके लिए मार्किंग तो थी, लेकिन फिर भी लोग एक-दूसरे से चिपक कर खड़े हुए थे।

आखिर कैसे शराब से राज्य सरकारों की कमाई होती है?
राज्य सरकारों की कमाई के मुख्य सोर्स हैं- स्टेट जीएसटी, लैंड रेवेन्यू, पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले वैट-सेल्स टैक्स, शराब पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी और बाकी टैक्स।


सरकार को होने वाली कुल कमाई में एक्साइज ड्यूटी का एक बड़ा हिस्सा होता है। एक्साइज ड्यूटी सबसे ज्यादा शराब पर ही लगती है। इसका सिर्फ कुछ हिस्सा ही दूसरी चीजों पर लगता है।


क्योंकि, शराब और पेट्रोल-डीजल को जीएसटी से बाहर रखा गया है। इसलिए, राज्य सरकारें इन पर टैक्स लगाकर रेवेन्यू बढ़ाती हैं।


पीआरएस इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य सरकारों को सबसे ज्यादा कमाई स्टेट जीएसटी से होती है। इससे औसतन 43% का रेवेन्यू आता है। उसके बाद सेल्स-वैट टैक्स से औसतन 23% और स्टेट एक्साइज ड्यूटी से 13% की कमाई होती है। इनके अलावा, गाड़ियों और इलेक्ट्रिसिटी पर लगने वाले टैक्स से भी सरकारें कमाती हैं।

ये तस्वीर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की है।40 दिन के लॉकडाउन के बाद जब सोमवार को शराब की दुकानें खुलीं, तो लोग इकट्ठे चार-पांच बोतलें खरीदकर ले गए।

पिछले साल ही शराब बेचने से राज्य सरकारों को 2.5 लाख करोड़ रुपए का रेवेन्यू मिला था।


लेकिन, लॉकडाउन की वजह से देशभर में शराब बंदी भी लग गई थी। अंग्रेजी अखबार द हिंदू के मुताबिक, शराब की बिक्री बंद होने से सभी राज्यों को रोजाना 700 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है।


यूपी-ओड़िशा की 24% कमाई शराब बिक्री से
शराब पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी से राज्य सरकारों को 1 से लेकर 24% तक की कमाई होती है। इससे सबसे कम सिर्फ 1% कमाई मिजोरम और नागालैंड को होती है। जबकि, सबसे ज्यादा 24% कमाई उत्तर प्रदेश और ओड़िशा को होती है।

कमाई प्रतिशत में। सोर्स- पीआरएस इंडिया

बिहार और गुजरात दो ऐसे राज्य हैं, जहां पूरी तरह से शराबबंदी है। 1960 में जब महाराष्ट्र से अलग होकर गुजरात नया राज्य बना, तभी से वहां शराबबंदी लागू है। जबकि, बिहार में अप्रैल 2016 से शराबबंदी है। इसलिए, इन दोनों राज्यों को एक्साइज ड्यूटी से कोई कमाई नहीं होती।


देश में हर व्यक्ति सालाना 5.7 लीटर शराब पीता है
भारत में शराब पीने वाले भी हर साल बढ़ते जा रहे हैं। 2018 में डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट आई थी। इसके मुताबिक, देश में 2005 में हर व्यक्ति (15 साल से ऊपर) 2.4 लीटर शराब पीता था, लेकिन 2016 में ये खपत 5.7 लीटर हो गई। हालांकि, इसका मतलब ये नहीं है कि देश का हर व्यक्ति शराब पीता है।


इसके साथ ही पुरुष और महिलाओं में भी हर साल शराब पीने की मात्रा भी 2010 की तुलना में 2016 में बढ़ गई। 2010 में पुरुष सालाना 7.1 लीटर शराब पीते थे, जिसकी मात्रा 2016 में बढ़कर 9.4 लीटर हो गई। जबकि, 2010 में महिलाएं 1.3 लीटर शराब पीती थीं। 2016 में यही मात्रा बढ़कर 1.7 लीटर हो गई।

साल देश पुरुष महिला
2010 4.3 7.1 1.3
2016 5.7 9.4 1.7

(आंकड़े लीटर में)

ये तस्वीर भी दिल्ली के चंदेर नगर में बनी वाइन शॉप के बाहर की है। यहां शराब खरीदने के लिए सुबह से ही लोग दुकान के बाहर लाइन लगाकर खड़े हो गए थे। यहां सोशल डिस्टेंसिंग की खुलेआम धज्जियां उड़ीं।

डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक, 2016 में भारत में शराब पीने की वजह से 2.64 लाख से ज्यादा मौतें हुई थीं। इनमें 1 लाख 40 हजार 632 जानें सिर्फ लिवर सिरोसिस से गई थी। जबकि, 92 हजार से ज्यादा लोग सड़क हादसों में मारे गए थे।

शराब पीने की वजह से हुई मौतें

लिवर सिरोसिस 1,40,632
सड़क हादसों में 92,878
कैंसर 30,958
कुल 2,64,468


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States were losing up to 700 crores rupees every day due to non-sale of liquor; Governments earn up to 24% every year when it is sold


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