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Sunday, May 3, 2020

अब सोचने का समय जनता का है

कोरोना के दौर की तीसरी तालाबंदी शुरू हो चुकी है। दृश्य ऐसा लग रहा है कि कलाकार ने डोर कठपुतली के हाथ में ही सौंप दी है। सख्ती और ढील की दोधारी तलवार पर अब जनता को खुद संभलकर चलना होगा। तालाबंदी-1 मानो राम के युग त्रेता की थी, दूसरी कृष्ण का युग द्वापर था और इस तीसरी में कलियुग का प्रवेश हो गया है। भागवत में कथा आती है कि राजा परीक्षित ने एक काले आदमी को गाय और बैल को मारते देखा तो पूछा- आप कौन हैं.? उस आदमी ने कहा- मैं कलियुग। गाय धरती, बैल धर्म है। मैं जब आता हूं तो इन पर प्रहार करता हूं। आप राजा हैं, आपके राज्य से मुझे प्रवेश करना है तो मुझे इसकी अनुमति दें। परीक्षित ने चार स्थान कलियुग को प्रवेश के लिए दिए थे- मदिरा, जुआ, व्यभिचार और हिंसा। कलियुग ने कहा- ये चार कम हैं, एक और दीजिए। तो स्वर्ण दे दिया। इन पांच स्थानों से कलियुग आया और पसर गया। कलियुग और कोरोना इस समय एक जैसे हैं। इन पांच स्थानों से तालाबंदी-3 के दौरान हम कोरोना का प्रवेश देख सकेंगे और यदि इन पर जरा भी लापरवाह हुए तो कोरोना हमसे बहुत बड़ी कीमत वसूलेगा। कलियुग की विशेषता है कि इसमें समझ में आना बंद हो जाता है क्या सही है, क्या गलत। जैसे थूकना मना है, पर पान की दुकानें खोल दी गईं। मंदिर बंद हैं, मैखाने खुल गए। उस पर लोगों से कहा जा रहा है- होश मत छोड़ना..। ऐसे में अब जनता को खुद ही सोचना होगा। सब कुछ सरकार के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता..।

जीने की राह कॉलम पं. विजयशंकर मेहता जी की आवाज में मोबाइल पर सुनने के लिए 9190000072 पर मिस्ड कॉल करें



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