कोरोना वायरस से 63,000 से अधिक लोगों की मौत और लगभग 11 लाख लोगों के संक्रमित होने के बावजूद अभी अमेरिका का इस महामारी से बाहर निकलना दूर है। हालांकि, न्यूयॉर्क में कोरोना से मरने वालों की संख्या घटकर आधी से भी कम हो गई है, लेकिन बाकी राज्यों में वायरस का प्रकोप बढ़ रहा है। बृहस्पतिवार को पड़ोसी न्यू जर्सी राज्य में 460 से अधिक लोगों की मौत हुई है। यहां पर मरने वालों की कुल संख्या 7228 हो गई है। ऐसा नहीं लगता कि यह महामारी पूरी तरह से रुक सकेगी, जबकि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिका की अर्थव्यवस्था को खोलने की बात करना शुरू कर दिया है। अधिकांश अमेरिकियों को लगता है कि अगर आज लॉकडाउन खत्म होता है तो महामारी का दूसरा दौर आ सकता है। लेकिन, इस राष्ट्रीय संकट में एक बात तो तय है कि ट्रम्प के सामने एक नई चुनौती आ रही है, इस महामारी से निपटने के खराब तरीकों से उनकी लोकप्रियता तेजी से गिर रही है। ट्रम्प बार-बार घोषणा कर रहे हैं कि वह महामारी के खिलाफ इस युद्ध को जीतेंगे, लेकिन अगर बड़ी संख्या में हो रहे सर्वेक्षणों पर भरोसा करें तो अमेरिकियों को उन पर विश्वास नहीं है। असल मंे तो अधिकांश अमेरिकी इस पूरे संकट में उनके व्यवहार के लिए नकारात्मक रेटिंग्स देते दिख रहे हैं।
ट्रम्प की स्वीकार्यता दर के गिरने के कारण हैं- ट्रम्प हर दिन अपनी न्यूज ब्रीफिंग व ट्विटर पर न केवल गलत जानकारी, बल्कि खतरनाक जानकारी और पूरी तरह से बकवास फैलाकर वायरस के खतरे को कम दिखाते रहे हैं। अधकचरे उपचारोें को बढ़ावा, जांच अौर सुरक्षात्मक उपकरणों की उपलब्धता को गलत तरीके से पेश करना, अपने राज्यों को बचाने की कोशिशों मंे लगे गवर्नरों से विवाद करना और विश्व स्वास्थ्य संगठन से लेकर ओबामा प्रशासन पर वे दोष मढ़ते रहे हैं। पिछले सप्ताह तो तब हद हो गई जब उन्होंने वायरस से निपटने के लिए लायजोल जैसे कीटाणुनाशकों के इस्तेमाल का सुझाव दे डाला। इसके बाद तमाम लोगों को चेतावनी जारी करनी पड़ी कि इन्हें निगलना कितना खतरनाक हो सकता है और किसी को भी यह नहीं करना चाहिए। बाद में ट्रम्प ने सफाई दी कि उन्होंने मजाक में यह बयान दिया था।
रायटर्स/आईपीएसओएस के मंगलवार को जारी सर्वेक्षण के मुताबिक 43 फीसदी अमेरिकियों का कहना है कि वे ट्रम्प के कुल प्रदर्शन से संतुष्ट है, इतने ही लोग कोविड-19 से निपटने में उनके काम को मंजूरी देते हैं। पंजीकृत वोटरों में 44 फीसदी आज चुनाव होने पर डेमोक्रेट प्रत्याशी जो बिडेन का समर्थन करने की बात करते हैं। फ्लोरिडा, मिशिगन, पेन्सिल्वेनिया और विसकोंसिन सहित कई राज्यों के सर्वेक्षणों से पता चलता है कि लोगों की नजरों से दूर रहने से संभावित डेमोक्रेट प्रत्याशी को लाभ हुआ है। गैलप सर्वे में भी कार्यभार संभालने के बाद ट्रम्प की लोकप्रियता में तेजी से गिरावट आई है। प्यू रिसर्च के मुताबिक 65 फीसदी लोगों का मानना है कि राष्ट्रपति कोरोना वायरस के खिलाफ बड़े कदम उठाने में धीमे रहे हैं। ओपिनियन पोल में यह भी सामने आया है कि लोगों को लगता है कि सभी 50 राज्यों के गवर्नरों ने राष्ट्रपति की तुलना में बेहतर काम किया है। लोकप्रियता के फिसलने से ट्रम्प इतने निराश हुए कि उन्हें अपनी कैंपेन टीम और मैनेजरों को आड़े हाथों लेना पड़ा। जैसे-जैसे ट्रम्प की लोकप्रियता गिर रही है, उनकी रिपब्लिकन पार्टी के सहयोगी निराश हो रहे हैं। नेशनल रिपब्लिकन सीनेटोरियल कमेटी ने तो एक मेमो जारी करके अपने सदस्यों को ट्रम्प का बचाव न करने की सलाह दी है। इस मेमो में कोरोना वायरस को लेकर राजनीतिक प्रभावों से निपटने की रणनीति को रेखांकित करते हुए पार्टी नेताओं को इस वायरस के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराने के राष्ट्रपति के प्रयासों को अपनाने के लिए भी कहा गया है। लेकिन, अमेरिकी मीडिया में तिरछे शब्दों मंे लिखे गए ‘ट्रम्प का बचाव न करें’ की ज्यादा चर्चा है।
इस महामारी का एक सकारात्मक पक्ष यह उभरा है कि जो अमेरिका पूरी तरह से ध्रुवीकृत और बंटा हुआ नजर आ रहा था वह अब एक दिख रहा है। इस वायरस ने अमेरिकियों को एक-दूसरे को राजनीति से अलग हटकर लोगों के भीतर के डर, साहस और काेमलता को देखने का मौका दिया है। लेकिन, ट्रम्प अपने राजनीतिक शब्दाडंबर से बाहर नहीं निकल सके। एबीसी न्यूज के सर्वे के मुताबिक 98 फीसदी डेमोक्रेट अौर 82 फीसदी रिपब्लिकनों ने सामाजिक दूरी के नियमों का समर्थन किया है। एक अन्य सर्वे में नौकरी खोने वाले लोगों ने भी नौकरी न खोने वाले के समान ही लॉकडाउन का समर्थन किया है। 9/11 के बाद अमेरिका अाज कहीं अधिक एकजुट है। ट्रम्प की विफलता यह है कि उनके पास विकल्प था कि वह देश के नेता बनकर उभरते और लोगों का नेतृत्व करते, चाहे वे किसी भी पार्टी के वफादार हों। इसके बजाय ध्रुवीकृत बयानाें, गवर्नरों और डेमोक्रेटों से ट्रम्प के विवादाें के बावजूद लोग एकजुट हैं, लेकिन वे ट्रम्प के पीछे नहीं हैं। ट्रम्प ने मौका खो दिया है।
(यह लेखक के अपने विचार हैं।)
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