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Monday, May 4, 2020

कोरोना की वजह पर मौलाना दोस्त के दावों से इमरान खान सवालों में

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हाल ही में चीन के साथ चल रहे आरोप-प्रत्यारोपों को यह कहकर तेज कर दिया कि उनके पास इस बात के सबूत हैं कि यह वायरस चीन की एक प्रयोगशाला से निकला है। उन्हांेने वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी की ओर अंगुली उठाई है, लेकिन उनके ही देश में बड़ी संख्या में लोग उन पर भरोसा करने को तैयार नहीं हैं। वे सोचते हैं कि कोई ट्रम्प के मन में चीन के प्रति गलतफहमी पैदा कर रहा है। केवल एक ही आदमी है, जो इन गलतफहमियों को दूर कर सकता है। ट्रम्प को मौलाना तारीक जमील से मिलना चाहिए। यह पाकिस्तानी मौलाना उन्हें कोरोना वायरस का सच बता सकता है। अाप पूछोगे कि मौलाना तारीक जमील कौन है? तारीक जमील एक मुस्लिम उपदेशक है और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान का करीबी दोस्त है।

कुछ लोग कहते हैं कि वह एक चापलूस है। वह नवाज शरीफ और परवेज मुशर्रफ के भी करीब रहा। आजकल वह इमरान के करीब है, जो अमेरिकी राष्ट्रपति के काफी करीब हैं। अगर ट्रम्प चाहें तो इमरान खान निश्चित ही ट्रम्प की मौलाना से वीडियो कॉल करना चाहेंगे। इस मौलाना ने कोरोना वायरस के बारे में तमाम वैज्ञानिक दावों को नकार दिया है। उसने खुलासा किया है कि इस महामारी की असली वजह महिलाओं के छोटे कपड़े और नग्नता है। चौंकिए नहीं, मैं आपको आंखों देखी बता रहा हूं।
मौलाना ने यह ऐतिहासिक दावा पिछले हफ्ते प्रधानमंत्री इमरान खान के सामने किया। सौभाग्य से मैं वहीं था। प्रधानमंत्री ने गरीबों के लिए चंदा जुटाने के लिए तीन घंटे की एक टेलीथॉन में शामिल होने के लिए अन्य पत्रकारों के साथ मुझे आमंत्रित किया था। इस टेलीथॉन को लगभग सभी टीवी चैनलों ने प्रसारित किया था। इस लाइव कार्यक्रम में दुनियाभर से लोगों ने सीधे प्रधानमंत्री से बात की और लाखों रुपए दान दिए। आखिर में मौलाना तारीक काे दुआ पढ़ने के लिए बुलाया गया। मौलाना ने सीधे दुआ पढ़ने की बजाय इस महामारी के फैलने की वजहों को बताना शुरू कर दिया। सबसे पहले मौलाना ने मीडिया के झूठ को महामारी के लिए दोष दिया। जब उसने कहा कि पूरी दुनिया और पाकिस्तान का मीडिया झूठ बोलता है, मैंने प्रधानमंत्री की ओर देखा, जो मेरे बगल में ही बैठे थे। उन्होंने मेरी आंखों में छिपे सवाल को पढ़ लिया और दुआ के बहाने अपनी आंखें बंद कर लीं।

मौलाना ने कहा कि ‘मैंने एक चैनल के मालिक को उसके चैनल पर झूठ को रोकने के लिए कहा तो उसने जवाब दिया कि अगर मैं झूठ बंद कर दूंगा तो मेरा चैनल ही बंद हो जाएगा’। मौलाना ने महामारी की एक और वजह बताते हुए कहा कि यह समाज में महिलाओं में बढ़ती अश्लीलता, नग्नता और अशिष्टता पर अल्लाह का कहर है। मौलाना इसके बाद रोने लगे। मैं सोच रहा था कि पाकिस्तान में अधिकांश लोगों को यह संक्रमण लाहौर में तब्लीगी जमात के कार्यक्रम से हुआ है। पाकिस्तानी पंजाब के आधे से अधिक मरीज तब्लीगी जमात से संबंधित हैैं। इसमें भाग लेने वालों ने पूरे पाकिस्तान में इस वायरस को फैला दिया। इनमें से सभी ने कपड़े पहने हुए थे, लेकिन फिर भी वे अल्लाह के निशाने पर आ गए। पवित्र मक्का और मदीना इस महामारी की वजह से बंद हैं। सऊदी अरब में तो कोई नग्नता नहीं है, फिर इन शहरों को वायरस निशाना क्यों बना रहा है? मैं कुछ पूछना चाहता था, लेकिन तभी मौलाना ने रोना बंद कर दिया और कार्यक्रम खत्म हो गया।
उसी शाम अपने चैनल पर एक कार्यक्रम में मैं मौलाना से जानना चाहता था कि वह कौन सा चैनल मालिक है, जो झूठ के बिना अपने चैनल को नहीं चला सकता। हालांकि, अगले दिन मौलाना ने एक अन्य चैनल पर पत्रकार मोहम्मद मलिक के कार्यक्रम में मुझसे और मीडिया के लाेगों से माफी मांगी। हालांकि, उन्होंने उस चैनल मालिक का नाम बताने से इनकार कर दिया। मौलाना ने मीडिया से तो माफी मांगी पर महिलाआें से नहीं। एक वरिष्ठ मंत्री शीरीन मजारी ने मौलाना की महिलाओं पर की गई टिप्पणी को तत्काल ही नकार दिया।

आश्चर्यजनक रूप से संसदीय कार्यमंत्री अली मोहम्मद खान सहित सरकार के अनेक लोग मौलाना से सहमत नजर आए। असल में मौलाना ने इमरान की कैबिनेट को ही दाेफाड़ कर दिया। ध्यान रहे कि सभी मौलानाओं और तब्लीगी जमात के सभी सदस्यों ने मौलाना के विचारों का समर्थन नहीं किया। पाकिस्तान में अधिकांश धार्मिक विद्वान इस महामारी के पीछे वैज्ञानिक वजहों को ही मानते हैं, लेकिन मौलाना की दोस्ती की खातिर इमरान खान की चुप्पी से कई सवाल खड़े होते हैं।
कई लोगों का कहना है कि एक देश के प्रधानमंत्री को ऐसे विवादित लोगों को महिलाआंे को नीचा दिखाने का माैका नहीं देना चाहिए था। ये लोग धर्म के नाम पर समाज को बांटते हैं। महामारी का धर्म से कुछ भी लेना-देना नहीं है। इमरान की चुप्पी से लगता है कि वह मौलाना की अवैज्ञानिक बातों से सहमत हैं। अगर ऐसा है तो वह ट्रम्प की मौलाना से बात कराकर वायरस पर चीन के प्रति उनके ‘भ्रम’ को दूर क्यों नहीं कर देते।

(यह लेखक के अपने विचार हैं।)



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