साहित्यकार खानोलकर की रचना ‘कालेतस्मयी नम:’ से प्रेरित फिल्म अनकही अमोल पालेकर ने बनाई थी, जिसकी संगीत रचना जयदेव ने की थी। इस फिल्म में पंडित भीमसेन जोशी द्वारा गाया हुआ एक गीत भी था। फिल्म में चार पात्र हैं- श्रीराम लागू अभिनीत ज्योतिषाचार्य, उसकी इकलौती पुत्री दीप्ति नवल द्वारा अभिनीत पात्र, अमोल पालेकर जो हमेशा अनर्जित धन पाने के सपने देखता है और चौथा पात्र है अमोल पालेकर की प्रेयसी का।
भविष्यवक्ता व्यक्ति धनाढ्य है और उसकी इकलौती पुत्री को दिमागी केमिकल लोचा है। श्रीराम लागू को विश्वास है कि उनकी इकलौती पुत्री विवाह के बाद पूरी तरह सामान्य हो जाएगी। अमोल अपनी प्रेमिका को विश्वास दिलाता है कि दीप्ति से विवाह कर वह उसकी संपत्ति का वारिस बन जाएगा और दीप्ति की मृत्यु एक पूर्व नियोजित दुर्घटना में हो जाएगी। तत्पश्चात वे दोनों विवाह करके सुखी जीवन जीएंगे।
अमोल और उसकी प्रेयसी अचंभित हो जाते हैं जब विवाह के बाद दीप्ति नवल पूरी तरह सामान्य हो जाती है। गोयाकि विवाह उसके लिए थैरेपी है, एक इलाज है। कभी-कभी विवाह रोग साबित होते हैं। कुंडली में 36 गुण के मिलान करने पर भी दुर्घटना घट जाती है। समय बताता है कि मनुष्य निरंतर अपनी परिस्थितियों पर विजय प्राप्त करने का प्रयास करता है और ये प्रयास ही उसके जीवन को सार्थकता देते हैं।
कभी-कभी साहित्यकार भविष्य में होने वाली घटनाओं का पूर्वानुमान लगा लेते हैं। मसलन, एक साधारण माने जाने वाले उपन्यासकार रिचर्ड मॉरगन ने 1898 में एक उपन्यास में पानी के जहाज की दुर्घटना का काल्पनिक विवरण दिया। कोई एक दशक बाद अपने समय का सबसे मजबूत जहाज टाइटैनिक दुर्घटनाग्रस्त हुआ।
आश्चर्य की बात है कि उपन्यास और दुर्घटना में मरने वालों की संख्या लगभग समान थी और दुर्घटना स्थल भी समान था। यह कैसे संभव हुआ? समय समुद्र में ऊपरी सतह को हम वर्तमान मान लें, उसके नीचे प्रवाहित लहर को भूतकाल मान लें। सबसे नीचे प्रवाहित है भविष्य। कभी-कभी कोई साहित्यकार देखता है कि वायु के प्रवाह के कारण तीनों सतहें एक ही जगह उत्तुंग लहर बनकर आसमान छूने का प्रयास करती नजर आती हैं। समय अपने तीनों स्वरूप में एक क्षण के लिए एक साथ मिलता है।
वर्षों पूर्व एक फिल्म में एक अखबार का संपादक दुर्घटना रचता है और खबर सबसे पहले प्रकाशित करके वह अपने अखबार को लोकप्रिय बना देता है। इस तरह हत्याएं और एनकाउंटर भी प्रायोजित हो सकते हैं। सनसनी संसार में सब कुछ संभव है।
जिस समय विनोबा भावे के प्रयास से डाकू आत्मसमर्पण कर रहे थे, उसी समय राज कपूर अपनी फिल्म ‘जिस देश में गंगा बहती है’ में डाकुओं के आत्मसमर्पण वाला दृश्य शूट कर रहे थे। इसी तरह 15 अगस्त 1985 को राज कपूर की फिल्म ‘राम तेरी गंगा मैली’ का प्रदर्शन हुआ और तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने अपने भाषण में गंगा को प्रदूषण मुक्त करने की बात की थी। फिल्मकार तिग्मांशु धूलिया की फिल्म ‘साहब बीवी और गैंगस्टर’ में दिखाया गया है कि भूतपूर्व सामंतवादी ही डाका प्रायोजित करता है और उसकी जांच-पड़ताल को भी प्रोत्साहित करता है। वही गुनाहगार है, वही वकील और जज भी है। प्राय: यथार्थ से प्रेरित साहित्य लिखा जाता है और कल्पनाएं भी घटित होती रहती हैं।
प्राय: सर्कस घुमक्कड़ होते हैं। पी.टी. बरनम ने सीमेंट का एक पक्का टेंट रचा ताकि सर्कस का तमाशा बारहमासी बताया जा सके। बरनम ने ताउम्र मीडिया का सहारा लेकर अपने स्टंट रहे। उम्रदराज होने पर पी.टी. बरनम की इच्छानुरूप उसकी मृत्यु का समाचार प्रकाशित हुआ। वह अपने को दी गई श्रद्धांजलि जीवित रहते हुए पढ़ना चाहता है। उसकी इच्छानुरूप काम हुआ।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3j3R8au
No comments:
Post a Comment